"ताबीज़ जैसा था वो शख्स;
गले लगते ही सुकूँ मिलता था!"
- अज्ञात
Tuesday, May 17, 2016
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
मेरा यह ब्लॉग समर्पित है उन शायरों को जिन को मैं पढ़ता आया हूँ और जिन के अश्आर मुझे सुकून देते है ! उन सब शायरों को मेरा सलाम !
1 comments:
वाह !!!👌👌
Post a Comment